सधर्म का अभ्यास कैसे करें- कैलाश चन्द्र बौद्ध
हाल ही में शिक्षांतर स्कूल में कैलाशजी आये। हम सभी दीदी भैया के साथ उन्होंने वार्तालाप किया । कैलाशजी परम पावन दलाई लामा जी के आधिकारिक हिंदी अनुवादक हैं। वे १६ वर्ष की लम्बी अवधि के रीमे गेशे उपाधि हेतु बौद्ध दर्शन का अध्ययन भी कर रहे हैं।
बहुत ही सरल भाषा में बात करते हुए, कैलाशजी ने हम सभी में वे भाव जागरूक किये, जो हम सब के अदरं कहीं दब गए हैं। या यूँ कहिये की हम जानते हुए भी उनसे अनजान रहना चाहते हैं। उन्होंने ये कहा कि हम सब शिक्षित हैं पर प्रशिक्षित नहीं हैं। इसी पंक्ति पर गौर डालते हुए उन्होंने कई उदाहरण दिए। जैसे हम सब जानते हैं कि, मूंगफली खरीदते वक्त २-४ मूंगफली यूँही जब हम ले लेते हैं, उन पर हमारा कोई हक़ नहीं है और ये एक किस्म की चोरी ही है। हम कई बार अपने दिमाग में किसी दूसरे के प्रति धारणा बना लेते हैं और क्रोध, ईर्ष्या के भाव से उन से पेश आते हैं। इसे भी उन्होंने एक किस्म की अप्रशिक्षता बतलाई।
हमारेस्कूल के सपोर्ट स्टाफ - गार्ड्स, हाउसकीपिगं , हेल्पर दीदी भैया को इस सेशन में बहुत आनंद आया क्यंकिू कैलाशजी हिंदी भाषा और सरल शब्दों का प्रयोग करके बात कर रहे थे। अपने आप पर निरंतर कार्य करने का प्रण लेते हुए, सभी उपस्थित लोगों ने ये महससू किया कि कैलाशजी हमारे स्कूल अक्सर आकर अपनी सच्ची व सरल बातें समय समय पर बांटते रहें।